अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान
अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान विश्वविद्यालय का सबसे पुराना स्कूल है। इसकी स्थापना वर्ष 1955 में हुई थी। अपनी स्थापना के बाद से पिछले छियालीस वर्षों के दौरान, संस्थान ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और ‘क्षेत्र-अध्ययन’ के अध्ययन के लिए स्वयं को देश के प्रमुख संस्थानों के रूप में स्थापित किया है।
संस्थान ने भारत में अकादमिक अनुशासन के रूप में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन को बढ़ावा देने और अंतर-विषयक परिप्रेक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय मामलों के ज्ञान और समझ को आगे बढ़ाने में अग्रणी योगदान दिया है। संस्थान "क्षेत्र अध्ययन" को बढ़ावा देने और विश्व के विभिन्न देशों और क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करने वाला देश का पहला संस्थान भी है। इसे ‘उच्च शिक्षा केंद्र’ के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई है।
स्वतंत्रता के तुरंत बाद के वर्षों में पहली बार इस प्रकार की संस्था की आवश्यकता महसूस की गई थी। भारतीय वैश्विक परिषद, जो उस समय विदेशी मामलों से संबंधित देश की एकमात्र संस्था थी, ने यह महसूस किया कि भारत में अंतरराष्ट्रीय मामलों के अध्ययन को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के लिए आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में वर्तमान वैश्विक विकास की व्याख्या करने में युवा पुरुषों और महिलाओं को प्रशिक्षित करना महत्वपूर्ण है। पंडित हृदयनाथ कुंजरू की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के अनुसार अक्तूबर 1955 में ‘इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ की स्थापना हुई और डॉ ए. अप्पादुरई संस्थान के पहले निदेशक नियुक्त हुए।
प्रारंभ में, यह संस्थान दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध था। सितंबर 1961 से लेकर जून 1970 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विलय किए जाने तक, यह एक मानित विश्वविद्यालय के रूप में कार्य करता था। विलय के बाद, "इंडियन" उपसर्ग को स्कूल के नाम से हटा दिया गया और यह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ बन गया।
काफी समय तक संस्थान का शैक्षिक पाठ्यक्रम अनन्य रूप से अनुसंधान केंद्रित था और यहाँ से केवल ‘पीएचडी’ डिग्री प्रदान की जाती थी। संस्थान के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का हिस्सा बनने के तुरंत बाद वर्ष 1971-72 में एमफिल पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके बाद, अगले शैक्षिक वर्ष 1973-74 में, संस्थान ने 2 वर्ष का एम.ए. (राजनीति: अंतरराष्ट्रीय अध्ययन) पाठ्यक्रम प्रारंभ किया। काफी बाद में 1995-96 में सेंटर फॉर स्टडीज इन डिप्लोमेसी, इंटरनेशनल लॉ एंड इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्र प्रभाग द्वारा अर्थशास्त्र में नवीन और अनोखा एम.ए. पाठ्यक्रम (विश्व अर्थव्यवस्था में विशेषज्ञता के साथ) शुरू किया गया।
इन सभी पाठ्यक्रमों ने देश और विदेश के युवा छात्रों का ध्यान आकर्षित किया है। प्रतिवर्ष प्रवेश प्रक्रिया अत्यधिक प्रतिस्पर्धी होती जा रही है। उदाहरण के लिए, 2001 में एम.ए. (राजनीति) पाठ्यक्रम की 69 सीटों के लिए 1416 उम्मीदवार राष्ट्रव्यापी लिखित परीक्षा में शामिल हुए। एम.ए. (अर्थशास्त्र) पाठ्यक्रम के लिए वर्ष 2001 में 20 सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए 748 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसी तरह, उसी वर्ष कुल 901 आवेदकों ने स्कूल में अध्ययन के सभी उन्नीस कार्यक्रमों में 139 एमफिल/पीएचडी सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा की।
बड़ी संख्या में एम.फिल/पीएचडी छात्र यूजीसी अध्येतावृत्तियों के लिए लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं। इसके अलावा, लगभग प्रत्येक राज्य सरकार ने अपने राज्य में अधिवास स्थिति के मानदंडों को पूरा करने वाले छात्रों को प्रदान करने के लिए फेलोशिप (कुछ मामलों में एक से अधिक) शुरू की हैं। उल्लेखनीय है कि संस्थान के आउटपुट के अनुसार जनवरी 2002 को 527 शोधार्थियों को पीएचडी और 1734 विद्वानों को एम.फिल की उपाधि प्रदान की गई।
वर्तमान में, स्कूल में 75 संकाय सदस्य हैं, जिनमें 40 प्रोफेसर, 27 एसोसिएट प्रोफेसर और 7 सहायक प्रोफेसर शामिल हैं। हमारे पास स्कूल में 5 इमेरिटस प्रोफेसर और प्रतिष्ठित विशेषज्ञ भी हैं। इसके अलावा, 3 अनुसंधान अधिकारी/प्रलेखन अधिकारी हैं।
हाल के वर्षों में, स्कूल में कई पीठ (चेयर) शुरू की गई हैं। इनमें अप्पादुरई पीठ, नेल्सन मंडेला पीठ, भारतीय स्टेट बैंक पीठ और पर्यावरण कानून और अंतरिक्ष कानून की पीठ आदि हैं। संस्थान के संकाय सदस्यों ने न केवल अपने शिक्षण और शोध-पर्यवेक्षण के माध्यम से बल्कि उच्चतम अंतरराष्ट्रीय ख्याति की पुस्तकों और जर्नल लेखों का प्रकाशन करके भी अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में ज्ञान की उन्नति और प्रसार में भी योगदान दिया है।
संस्थान के शिक्षकों को विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों में उनकी विषय- विशेषज्ञता के लिए सलाहकार के रूप में भी आमंत्रित किया जाता है और वे अंतरराष्ट्रीय मामलों से संबंधित विषयों पर रेडियो चर्चा और टेलीविजन कार्यक्रमों में भाग लेते रहते हैं। स्कूल समय-समय पर क्षेत्र अध्ययन के महत्वपूर्ण पहलुओं, अंतर-देशीय संबंधों और अकादमिक अनुशासन के रूप में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन से संबंधित विषयों पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन करता रहता है।
यह संस्थान प्रत्येक वर्ष समसामयिक अंतरराष्ट्रीय संबंधों से संबंधित विषयों पर श्रृंखलाबद्ध व्याख्यानमाला भी आयोजित करता है। फरवरी 1989 में विद्या-परिषद के एक निर्णय के अनुसार, इन व्याख्यानों को अब "अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर हृदयनाथ कुंजरू स्मारक (विस्तार) व्याख्यान" के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2000 में इस व्याख्यानमाला का विषय अंतरराष्ट्रीय संबंधों में क्षेत्रीय गतिशीलता था।
संस्थान एशिया पब्लिशिंग हाउस, बॉम्बे द्वारा वित्तपोषित अक्षय-निधि के तहत, महान कवयित्री और देशभक्त सरोजिनी नायडू की स्मृति में व्याख्यान आयोजित करता है और किसी प्रतिष्ठित विद्वान या राजनीतिज्ञ को स्मृति व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित करता है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के अनुरोध पर, संस्थान ने दो दशकों से भी अधिक समय तक भारतीय विदेश सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के प्रत्येक बैच के लिए तीन-चार महीने की अवधि का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किया है और उन्हें उनके राजनयिक करियर के लिए आवश्यक अभिविन्यास दिया।
संस्थान एक त्रैमासिक पत्रिका ‘इंटरनेशनल स्टडीज’ प्रकाशित करता है। जुलाई 1959 में अपनी शुरूआत से पत्रिका ने इस क्षेत्र में अग्रणी भारतीय अकादमिक पत्रिका के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा हासिल किया है। पत्रिका में अंतरराष्ट्रीय संबंधों और क्षेत्र अध्ययन के व्यापक क्षेत्र में समकालीन प्रासंगिकता के सिद्धांत की समस्याओं सहित मुद्दों और समस्याओं विषयक मूल शोध लेख प्रकाशित होते हैं। संदर्भित शोध-पत्रिका (रेफर्ड जर्नल) होने के नाते, इसे न केवल स्थान के संकाय सदस्यों और अन्य भारतीय विश्वविद्यालयों/शोध संस्थाओं के सदस्यों से बल्कि दुनिया भर के विद्वानों से भी सहयोग प्राप्त होता है।
अध्ययन पाठ्यक्रम
संस्थान निम्नलिखित अध्ययन पाठ्यक्रमों में एम.फिल./पीएच.डी प्रदान करता हैः-
- अमेरिकी अध्ययन
- लैटिन अमेरिकी अध्ययन
- पश्चिम यूरोपीय अध्ययन
- कैनेडियन स्टडीज
- राजनयिक अध्ययन
- अंतरराष्ट्रीय कानूनी अध्ययन
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विकास
- चीनी अध्ययन
- जापानी और कोरियाई अध्ययन
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति
- अंतरराष्ट्रीय संगठन
- निरस्त्रीकरण अध्ययन
- राजनीतिक भूगोल
- रूसी और पूर्वी यूरोपीय अध्ययन
- दक्षिण एशियाई अध्ययन
- दक्षिण पूर्व एशियाई और दक्षिण पश्चिम प्रशांत अध्ययन
- मध्य एशियाई अध्ययन
- पश्चिम एशियाई और उत्तर अफ्रीकी अध्ययन
- अफ्रीकी अध्ययन
अलग-अलग केंद्रों के निम्नलिखित प्रोफाइल में इन एम.फिल./पीएच.डी पाठ्यक्रमों का विस्तृत विवरण दिया गया हैः-
एमए राजनीति (अंतरराष्ट्रीय अध्ययन)
अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में विशेषज्ञता के साथ एमए, राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम की अत्यधिक मांग को पूरा करने के लिए शैक्षिक वर्ष 1973-74 में संस्थान में एमए राजनीति विज्ञान (अंतरराष्ट्रीय अध्ययन) पाठ्यक्रम शुरू किया गया। राजनीति विज्ञान में मुख्य पाठ्यक्रमों के अलावा, यह पाठ्यक्रम अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के प्रमुख अनुशासनात्मक क्षेत्रों के साथ-साथ विषय और क्षेत्र आधारित पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला भी प्रदान करता है। यह पाठ्यक्रम 69 सीट की वर्तमान प्रवेश क्षमता के साथ विश्वविद्यालय के सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़े स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में से एक है।
एमए अर्थशास्त्र (विश्व अर्थव्यवस्था पर विशेषज्ञता के साथ)
इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं विकास केन्द्र (सीआईटीडी) द्वारा संचालित किया जाता है।
यह भी देखें:
मैट्रिक्स: संस्थान के विद्वानों द्वारा प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय संबंधों का ई-जर्नल।